दुनिया का एकमात्र देश जहां अंग्रेजी बोलने पर देना पड़ता है 90 लाख का जुर्माना, संसद में बिल हुआ पास

हमारे देश में ज्यादातर लोग हिंदी भाषा को प्रयोग करते हैं, जो यहां कि मातृभाषा है। वहीं, आज कल अंग्रेजी बोलने का चलन भी काफी ज्यादा हो गया है। अंग्रेजी भाषा का ज्ञान आज कल जरूरी भी हो गया है, क्योंकि कई जगहों पर या कई दफ्तरों में इसी भाषा के प्रयोग से काम काज होते हैं। हालांकि, जिन्हें इस भाषा को बोलने में कठिनाई आती है, उनके लिये अनुवादक भी होते हैं।

दुनिया का एकमात्र देश जहां अंग्रेजी बोलने पर देना पड़ता है 90 लाख का जुर्माना, संसद में बिल हुआ पास

भाषा का ज्ञान होना इंसान के लिये काफी आवश्यक है। भारत में तो भाषाओं की विविधता है। यहां अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं। यहां के लोग भी एक से ज्यादा भाषाओं का ज्ञान रखते हैं, जिनमें से एक अंग्रेजी है। अंग्रेजी ज्यादातर देशों में प्रयोग की जाती है, लेकिन क्या हो अगर आपको पता चले कि अगर आपने अंग्रेजी बोली तो आपको 90 लाख रूपये तक का जुर्माना चुकाना पड़ेगा।

जी हां, ये खबर सच तो है, लेकिन भारत की नहीं है। ये खबर इटली की है, जहां की सरकार ने संसद में एक मसौदा विधेयक पेश किया है, जिसमें सार्वजनिक और निजी संस्थाओं पर 90 लाख रुपये (€100,000) तक का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है। ये हर्जाना उन पर लगाया जायेगा, जो आधिकारिक संचार में इटैलियन के बजाय विदेशी भाषाओं, विशेष रूप से अंग्रेजी का उपयोग करेंगे।

जानकारी के मुताबिक ये ड्राफ्ट बिल इटैलियन भाषा के संरक्षण और प्रचार के लिए प्रस्तावित किया गया है, जिसके मुताबिक ये कहा गया है कि अंग्रेजी भाषा का प्रोग इटली के लोगों को नीचा और गिरा हुआ दिखाती है। इस बिल में ये भी कहा गया है कि सभी सार्वजनिक और निजी संगठनों में लोग आधिकारिक भाषा के तौर पर अंग्रेजी का प्रयोग ना करके 14 वीं शताब्दी के कवि दांते की भाषा का उपयोग करें। कवि दांते को इटैलियन भाषा के जनक के रूप में जाना जाता है।

इसके अलावा बिल में ये भी उल्लेख किया गया है कि इटैलियन व्यवसायों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सभी रोजगार शीर्षक और परिवर्णी शब्द किसी भी विदेशी शब्द के अपवाद के साथ देश की मूल भाषा में लिखे जाने चाहिए।

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