(Himachali Khabar) Duck Down Jacket: दिल्ली में सर्दी अपने पूरे सबाब में है। बारिश के बाद दिल्ली एनसीआर का तापमान लुढ़क गया है। इसके साथ-साथ शीतलहर भी चल रही है। इसी समय बाजारों में ही गरम कपड़ो का कारोबार तेज हो गया है। इसमें बॉम्बर पफर और डाउन जैकेट्स काफी ट्रेंड में है इनके लिए लोग कोई भी दाम चुकाने को तैयार रहते है। PETA के अनुसार कंपनियां मुनाफे के लिए बेबस पक्षियों पर अत्याचार करके ऐसी जैकेट बनाती है। गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग कम्पनीज के लिए डाउन सोने जितना कीमती होता है। ऐसे पंखो के लिए बत्तख और हंस को शिकार बनाया जाता है। डाउन के लिए करीब ढाई महीने के पक्षी को अच्छा माना जाता है।
कैसे बनता है डाउन जैकेट ?
डक डाउन से बने स्टाइलिश जैकेट को गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग कम्पनी बनाने के लिए सबसे पहले पंख और डाउन को अलग करती है जो दोनों ही बर्ड के पार्ट है। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि स्किन के सबसे पास छोटे-छोटे पंखो को डाउन बोला जाता है और उसके ऊपर फैदर होते है। इन दोनों को अलग करने के लिए एक एयर चैम्बर में बहुत सारे पंख डाले जाते है। नीचे से प्रेशर रह जाते है। इसके बाद इनको पॉलिश या लिनन जैसे कपड़ो के साथ डिजाइन करने को भेजा जाता है और इस प्रकार स्टलिश डाउन जैकेट बनकर त्यार होती है।
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क्यों बढ़ रहा है इन जैकेट का क्रेज ?
डाउन एक एयर इंसुलेटर है यह पक्षियों को शरीर गरम करने में मदद करता है। यही वजह है कि बाजारों में डाउन से बनी जैकेट मैट्रेस या बीएड कवर्स काफी पसंद किये जाते है। डाउन जैकेट की जरूरत ज़्यादातर ऐसे देशो में पड़ती है जहा का तापमान माइनस में जाता है। न्यूजीलैंड कनाडा अमेरिका ऑस्ट्रेलिया चीन हंगरी और वियतनाम जैसे देशों में इसकी बहुत ज्यादा डिमांड है।
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