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Vidur Niti: विदुर के इन नीति का पालन करने वाला जल्द बन जाता है अमीर, जिंदगी में रहती है कोई कमी

Vidur Niti: विदुर के इन नीति का पालन करने वाला जल्द बन जाता है अमीर, जिंदगी में रहती है कोई कमी

Vidur Niti: संस्कृत में ‘विदुर’ शब्द का अर्थ कुशल और बुद्धिमान होता है। ये प्रसिद्ध हिंदू महाकाव्य महाभारत से विदुर के पास सटीक गुण थे। महाकाव्य महाभारत से पता चलता है कि वे हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र के सौतेले भाई और हस्तिनापुर के प्रसिद्ध राज्य के मंत्री थे।

Vidur Niti: विदुर के इन नीति का पालन करने वाला जल्द बन जाता है अमीर, जिंदगी में रहती है कोई कमी

वे एक महान विद्वान थे, जो सत्यवादिता, निष्पक्ष निर्णय, कर्तव्यपरायणता और धर्म के प्रति अडिग आस्था के प्रतीक थे। हालांकि, वह प्रमुख रूप से अपनी नीतियों के लिए जाने जाते हैं, जो कि उनके भाई धृतराष्ट्र के साथ बातचीत के रूप में वर्णित है, जो कुरुक्षेत्र के युद्ध से पहले हुआ था।

विदुर नीति मुख्य रूप से राजनीति पर आधारित है, फिर भी हमारे दैनिक जीवन में भी इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जा सकता है। इन्हीं नीतियों में से एक है, इंसान को धनवान बनाने की नीति, जिसके बारे में हम आपको इस लेख मे बताने वाले हैं।

विदुर नीति के तीसरे अध्याय में महाराज धृतराष्ट्र कहते हैं, हे विदुर आप मुझे धर्म और अर्थ से संबंधित विषय बताते रहते हैं। मैं इन विषयों को सुन कर संतुष्ट नहीं होता। इसलिए मैं इन विषयों के बारे में और जानना चाहता हूं।

धर्म और अर्थ की बात करते हुए विदुर कहते हैं कि सांसारिक जीवन जीने के लिए धर्म और अर्थ यानी धन से जुड़े विषय बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसलिए सभी सांसारिक व्यक्ति इसके बारे में जानना चाहते हैं। उनका मानना है कि पैसे के बारे में 4 बातें पता होनी चाहिए। विदुर जी कहते हैं –

  • श्रीर्मंगलात् प्रभवति प्रागल्भ्यात् सम्प्रवर्धते।
  • दाक्ष्यात्तु कुरुते मूलं संयमात् प्रतितिष्ठति ।।
  • इस श्लोक का अर्थ है
  • शुभ कर्मों से आती है लक्ष्मी

विदुर जी कहते हैं कि शुभ कर्म करने से लक्ष्मी की उत्पत्ति होती है। इसका अर्थ यह है कि जो व्यक्ति यज्ञ, हवन, धार्मिक कार्य, गरीबों की सहायता, जरूरतमंदों की सेवा और दुखी व्यक्ति को सुख देने जैसे शुभ कार्य करता है, वह अपने लिए धन सृजन का मार्ग सुगम करता है। ऐसे व्यक्ति पर आने वाले समय में धन आगमन के योग बन सकते हैं।

उत्साह से बढ़ता है पैसा

यहां प्रागलभात का मतलब प्रतिभा से है। विदुर जी कहते हैं कि प्रतिभा ही धन का स्रोत है। जो व्यक्ति अपने जीवन में धन की वृद्धि करना चाहता है उसे अपनी प्रतिभा के विकास के बारे में सोचना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को अपनी प्रतिभा का निरन्तर विकास करना चाहिए।

चतुराई से होता है धन का संचय

विदुर जी कहते हैं कि धन संचय करने के लिए चतुराई का होना बहुत जरूरी है। ऐसा माना जाता है कि समाज में ऐसे कई अवसर आते हैं, जब धन खर्च करना पड़ता है। ऐसे में बुद्धिमान व्यक्ति अपने धन के लिए उचित निर्णय लेकर धन को व्यर्थ होने से रोकता है, जिससे धन संचय में सहायता मिलती है।

धन को सुरक्षित रखने के लिए संयम जरूरी

विदुर नीति में कहा गया है कि संयम से धन की रक्षा होती है। कहा जाता है कि संयमित रहने वाला व्यक्ति तभी पैसा खर्च करता है, जब कोई बड़ी जरूरत होती है। ऐसे में पैसा सुरक्षित रहता है।

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