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नौकर के घर मिले नोटों के पहाड़ की पूरी कहानी: अफसर और नेता सब बांटते थे माल

नौकर के घर मिले नोटों के पहाड़ की पूरी कहानी: अफसर और नेता सब बांटते थे माल

रांची. झारखंड में सोमवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी के बाद ऐसी तस्वीरें सामने आईं जिसे देखकर पूरा देश दंग रह गया। नोटों की गड्डियों का ऐसा ढेर वह भी एक नौकर के घर। जिस जहांगीर खान के घर 35 करोड़ से अधिक कैश मिला वह झारखंड के मंत्री आलमगीर आलम के निजी सजिव संजीव लाल का नौकर है। बरामद किए गए नोट असल में किसके हैं और जहांगीर के घर तक कैसे पहुंचे, ईडी अब इसकी पड़ताल शुरू करेगी। माना जा रहा है कि जहांगीर के घर मिला पैसा ग्रामीण विकास विभाग में चल रहे कमीशन वाले खेल का एक हिस्सा है।

जहांगीर के घर पैसा, संजीव के पास थीं चाबियां
मूल रूप से चतरा निवासी जहांगीर मंत्री आलमगीर का भी करीबी बताया जाता है। शुरुआती जांच में संजीव लाल ने खुद का पैसा होने से इनकार किया है। ईडी टीम रांची के गाड़ीखाना इलाके में स्थित सर सैयद रेसिडेंसी पहुंची और फ्लैट नंबर-वन ए में जहांगीर के आवास में छापा मारा। इस दौरान उसके तीन कमरों में आलमीरा बंद मिलने पर ईडी संजीव के यहां से चाबियां लेकर पहुंची। तलाशी में पांच-पांच सौ रुपए के नोट और लाखों के जेवरात मिले। ओएसडी संजीव के यहां से करीब 10 लाख मिले।

कैसे एक रिश्वतकांड से हुआ खुलासा
13 नवंबर 2019 को एसीबी ने ग्रामीण विकास विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के अधीन काम करने वाले जेई सुरेश प्रसाद वर्मा को एक ठेकेदार की शिकायत पर 10 हजार घूस लेते दबोचा था। सुरेश जमशेदपुर में वीरेंद्र राम के मकान में रहता था। एसीबी ने जब सुरेश वर्मा के ठिकानों पर छापेमारी की तो 2.44 करोड़ रुपए मिले। तब सुरेश प्रसाद वर्मा और उसकी पत्नी पुष्पा वर्मा ने दावा किया था कि पैसे वीरेंद्र राम के हैं। उसके रिश्तेदार आलोक रंजन ने रखे थे। इसके बाद ईडी की मामले में इंट्री हुई।

हर ठेके पर कमीशन, अफसर से नेता तक का हिस्सा
झारखंड सरकार के ग्रामीण कार्य विकास विभाग के निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम की अवैध कमाई और करतूतों की जांच ईडी ने शुरू की तो ग्रामीण विकास विभाग व ग्रामीण कार्य विभाग में फैले भ्रष्टाचार का भी खुलासा हुआ। ईडी ने जांच में पाया है कि विभाग में प्रत्येक ठेके के आवंटन पर 3.2 प्रतिशत का कमीशन तय था, जिसमें वीरेंद्र राम का 0.3 प्रतिशत ही उसका रहता था। ईडी ने जांच में पाया था कि कमीशन का पैसा राजनेताओं, अधिकारियों व इंजीनियरों के सिंडिकेट के बीच बंटता था। इसी दौरान सबसे पहले विभागीय मंत्री आलमगीर आलम, उनके ओएसडी संजीव लाल समेत अन्य की भूमिका की जांच शुरू हुई।

रडार पर आलमगीर आलम
ईडी के रडार पर राज्य सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम पहले से हैं। ईडी ने उनके खिलाफ पहला मामला अप्रैल 2022 में दर्ज किया था। अवैध खनन से जुड़े मामले में तत्कालीन सीएम, पंकज मिश्रा समेत अन्य को गिरफ्तार कर ईडी ने जेल भेजा था। इस केस में ईसीआईआर में आलमगीर आलम पहले से आरोपी हैं। हालांकि, अवैध खनन से जुड़े केस में ईडी ने आलमगीर को अबतक कार्रवाई नहीं की थी। लेकिन, विभागीय चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी के बाद वह ईडी के रडार पर थे। अब विभागीय ओएसडी के पास से करोड़ों की बरामदगी के बाद ईडी उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकती है। बड़े कालेज की लड़कियां कुछ इस तरह से करती हैं देह-व्यापार

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