एक ऐसा मंदिर, जहां पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। वे इस मंंदिर के गर्भगृह में पूजा नहीं कर सकते। बात कर रहे हैं दरभंगा जिले के कमतौल प्रखंड में स्थित अहिल्या स्थान की। वही अहिल्या, जो गौतम ऋषि की पत्नी थीं। यही वह स्थान है, जहां भगवान श्रीराम के चरण रज के स्पर्श से उन्हें शाप से मुक्ति मिली थी और वह फिर से नारी रूप में वापस लौटीं।
इस पूरी कहानी को कवर करने के दौरान मन में एक साथ कई तरह की बातें चल रही थीं।
आखिर एक पतिव्रता महिला के साथ ऐसा छल देवताओं के राजा इंद्र ने क्यों किया। इधर, गौतम ऋषि ने भी बिना समझे पत्नी, बेटी और बेटा सभी शाप दे दिया। खैर, यह लंबी चर्चा का विषय बन जाएगा। मंदिर की पुजारन अवंतिका मिश्रा जी, की निष्ठा और कर्मठता का कायल हो गया। अवंतिका जी स्नातक की छात्रा भी हैं। हिन्दी साहित्य में ऑनर्स कर रही हैं। गृहस्थी भी बढ़िया चला रही हैं। पति भी मंदिर की व्यवस्था में सहभागी हैं। एक तीन साल की बेटी भी इनकी है। पुजारन होना भी किसी दूसरे सामान्य पेशे के जैसा ही है। यह बात अच्छी लगी।