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राजस्थान रोडवेज के सफर पर मंडरा रहा ‘खतरा’, फिर हुई आंदोलन की सुगबुगाहट, आ सकता है बड़ा सकंट, जानें हालात

राजस्थान रोडवेज के सफर पर मंडरा रहा ‘खतरा’, फिर हुई आंदोलन की सुगबुगाहट, आ सकता है बड़ा सकंट, जानें हालात

जयपुर. राजस्थान रोडवेज में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. रोडवेज के मौजूदा और रिटायर्ड कर्मचारी एक बार फिर से आंदोलन की तैयारी में नजर आ रहे हैं. कर्मचारियों के संयुक्त मोर्चे का कहना है कि उनकी मांगों के लेकर सरकार बिल्कुल गंभीर नजर नहीं आ रही है. मोर्चे के मुताबिक आचार संहिता खत्म होने के बाद उनका डेलीगेशन सीएम से मुलाकात करेगा और उसके बाद आगे की रणनीति तैयार की जाएगी. जरुरत पड़ी तो आंदोलन का कदम उठाया जा सकता है.

रोडवेज कर्मचारियों का संयुक्त मोर्चा नई सरकार बनने से पहले अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष करता रहा है. नई सरकार बनने के बाद रोडवेज कर्मचारियों की सेलरी अब एक महीने के अंतराल से आने लगी है जो पहले 2 महीने के अंतराल से आती थी. लेकिन उनकी बाकी मांगों जिनमें रिक्त पदों की भर्तियों से लेकर नई बसों की खरीद तक शामिल पर कोई बड़ा फैसला नहीं लिया गया है.

आचार संहिता खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं
राजस्थान स्टेट रोडवेज एम्पलॉइज यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष एमएल यादव का कहना है कि वे आचार संहिता खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं. उसके बाद सरकार से मुलाकात करेंगे. बात नहीं बनने की स्थिति में फिर से आंदोलन किया जाएगा. हालांकि यूनियन का कहना है कि विभाग 550 बसों की खरीद कर तो रहा है लेकिन ये संख्या बहुत कम है. इस वक्त विभाग को 2 हजार बसों की जरूरत है.

आधी के करीब बसें अपना समय पूरा कर चुकी है
रोडवेज विभाग के पास इस समय लगभग 2900 के करीब बसें हैं. इनमें से लगभग आधी के करीब बसें अपना समय पूरा कर चुकी है. अब उनको अनफिट होने के बावजूद सड़कों पर चलाया जा रहा है. इसके चलते हादसे की आशंका बनी रहती है. फिलहाल 4 जून के बाद सरकार विभाग को लेकर क्या फैसला करती है और यूनियन के साथ बन पाती है या नहीं इस पर नजरें बनी रहेंगी. कर्मचारी अगर आंदोलन की राह पर चलते हैं तो न केवल रोडवेज के सफर पर संकट मंडरा सकता है बल्कि खुद विभाग को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

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